Monday 14 August 2017

खीरे की आधुनिक खेती



खीरा
आज के आधुनिक युग में प्रत्येक उन्नत किसान सब्जियों की खेती करके अधिक से अधिक लाभ ले रहा है।खीरे की खेती भी इन में से एक है जो किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है।
बाजार में खीरे की अधिक मांग बने रहने के कारण खीरे की खेती किसान भाइयो के लिए बहुत ही लाभदायक है।खीरे का उपयोग खाने के साथ सलाद के रूप में बढ़ता ही जा रहा है।जिससे बाजार में इसकी कीमते भी लगातार बढ़ रही है।इसके साथ ही खीरे की खेती रेतली भूमि में अच्छी होती ऐसे में किसान भाइयो के पास जो ऐसी भूमि है जिसमे दूसरी फसलो का उत्पादन अच्छा नहीं होता है उसी भूमि में खीरे के खेती से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।




खीरा की फसल के लिए शीतोषण एवम समशीतोषण दोनों ही जलवायु अच्छी मानी गयी हैI खीरे के फूल खिलने के लिए 13 से 18 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अच्छा होता है। तथा पौधों के विकास और अच्छी पैदावार के लिए 18 से 24 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है। खीरे की फसल पर कोहरे का बुरा असर पड़ता है।इसके अलावा अधिक नमी मे इस के फल पर धब्बे पड़ जाते  हैं।
उत्तम मिटटी
खीरे की अच्छी पैदावार के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट एवम बलुई दोमट भूमि उत्तम मानी जाती है। खीरा की खेती के लिए भूमि का पी एच 5.5 से 6.8 तक अच्छा माना गया है। नदियों की तलहटी में भी इसकी खेती अच्छी पैदावार देती है।
खीरे की फसल के  लिए  मैरा या काम रेतली भूमि ठीक है।
खीरे की उन्नत किस्मे
पंजाब नवीन>  पंजाब नवीन खीरे की अच्छी किस्म  है। इस किस्म में कड़वाहट कम होती है। और इसका बीज भी खाने  लायक  होता  है। इसकी फसल 70 दिन मे तुड़ाई लायक होजाती हैं। इसकी औसत पैदावार 40 से 50 कु. / एकड़ तक होती है।
इसके अलावा खीरे की प्रमुख प्रजातियां निम्नलिखित है।
हिमांगी, जापानी लॉन्ग ग्रीन, जोवईंट सेट, पूना खीरा, पूसा संयोग, शीतल, फ़ाईन सेट, स्टेट 8 , खीरा 90, खीरा 75, हाईब्रिड1 व् हाईब्रिड2, कल्यानपुर हरा खीरा इत्यादि प्रमुख है।
खेत की तैयारी
खीरे की फसल के लिए खेत की कोई खास तैयारी  करने की आवश्यकता नही पड़ती है। क्योंकि इसकी फसल के लिए खेत की तैयारी भूमि की किस्म के ऊपर निर्भर होती है। बलुई भूमि के लिये अधिक जुताई की आवश्यकता नहीं होती। 2-3 जुताई से ही खेत तैयार होजाता है। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर क्यारियां बना लेनी चाहिए भारी-भूमि की तैयारी के लिये अधिक जुताई की आवश्यकता पड़ती है। बगीचों के लिये भी यह फसल उपयोगी है जोकि आसानी से बुआई की जा सकती है।
खेत की बिजाई
खीरे की फसल के लिए खेतो में बिजाई का समय सही समय फरबरी मार्च है।
बीज की मात्रा :- एक किलो /एकर
बिजाई का ढंग :- बीज को ढाई मीटर की चौड़ी बेड पर  दो दो फुट के फासले  पर बीज सकते  हैं। खीरे की बिजाई उठी हुई मेढ़ो के ऊपर करना ज्यादा अच्छा हैं। इसमें मेढ़ से मेढ़ की दूरी 1 से 1.5 मीटर रखते है। जबकि पौधे से पौधे की दुरी 60 सें.मी. रखते हैं। बिजाई करते समय एक जगह पर कम से कम दो बीज लगाएं।
खाद तथा उर्वरक की उचित मात्रा
खीरे की अच्छी फसल के लिए खेत की तैयारी करते समय ही 6 टन गोबर की अच्छी तरह सड़ी खाद खेत मेें जुताई के समय मिला दें। 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 12 किलोग्राम फास्फोरस  10 किलोग्राम पोटाश की  मात्रा खीरे के लिए पर्याप्त रहती है। खेत में बिजाई के समय 1/3 नाइट्रोजन, फास्फोरस की पूरी मात्रा तथा पोटाश की पूरी मात्रा डालदे। बची हुई नाइट्रोजन को  दो बार में बिजाई के एक महीने बाद फूल आने पर खेत की नालियों में डाल कर मिट्टी चढ़ा दें।
खेत की सिंचाई
बरसात में ली जाने वाली फसल के लिए प्राय: सिंचाई की आवश्यकता नही कम ही पड़ती है। यदि वर्षा लम्बे समय तक नहीं होती है तो अवश्य ही सिंचाई कर देनी चाहिए। गर्मी की फसल में सिंचाई की जरूरत समय-समय पर पड़ती रहती है इसके लिए आवश्यकतानुसार 7-8 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए। बेलो पर फल लगते समय नमी का रहना बहुत ज़रूरी है। अगर खेत में  नमी की कमी हो तो फल कड़वे भी हो सकते हैं।

खरपतवार नियन्त्रण 
किसी भी फसल की अच्छी पैदावार लेने की लिए खेत में खरपतवारो का नियंत्रण करना बहुत जरुरी है। इसी तरह खीरे की भी अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत को खरपतवारों से साफ रखना चाहिए। इसके लिए गर्मी में 2-3 बार तथा बरसात में 3-4 बार खेत की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
फ्लो की तुड़ाई
खीरे के फलों को कच्ची अवस्था में तोड़ लेना चाहिए जिससे बाजार में उनकी अच्छी कीमत मिल सके। फलों को एक दिन छोड़ कर तोड़ना अच्छा रहता है। फलों को तेजधार वाले चाकू या थोड़ा घुमाकर तोड़ना चाहिए ताकि बेल को किसी तरह का नुकसान पहुंचे।
खीरे की फसल को तोड़ते समय ये नरम होने चाहिए। पीले फल नहीं  होने देना चाहिए।
अगली फसल के लिए खीरे का बीज कैसे तैयार करें ?
खीरे का बीज तैयार करते समय खीरे की 2 किस्मो के बीच काम से काम 800 मीटर की दुरी होनी चाहिए।
जिन पौधें पर सही आकार, प्रकार और रंग के फल आएं उन पौधों को तुरन्त निकाल देना चाहिए। बीज उत्पादन के लिए जब फल पीला पड़ जाए तथा बाहरी आवरण में दरारें पड़ जाएं उस समय तोड़ लेने चाहिए। फलों को लम्बाई में काटकर गुद्दे से बीज को हाथ से अलग करके साफ पानी से धेएं और बीजो को धूप में सुखाकर उनका भण्डारण करें।
संकर प्रजाति के खीरे का बीज तैयार करना
संकर प्रजाति के खीरे के बीजोत्पादन के लिए मादा गाईनोसियस तथा नर मोनोसियस पैतश्क लाईनों का प्रयोग किया जाता है। मादा तथा नर लाईनों को खेतों में 3:1 के अनुपान में लगाया जाता है। परपरागण के बाद मादा लाईनों से फल तोड़कर फल से संकर बीज निकाला जाता है। मादा लाईनो के प्रतिपादन के लिए 250 पी.पी. एम. सिल्वर नाईट्रेट के घोल का पौधें पर दो बार 2-3 पत्तों 4-6 वाली अवस्थाओं में छिड़काव किया जाता है जिससे उनमें नर फूल निकल आते हैं तथा मादा गाईनोसियस लाईनों का प्रतिपादन हो जाता है।

4 comments:

  1. अच्छी जानकारी, आगे भी ऐसे ही पोस्ट करें व लोगों को लाभ पहुंचाएं .

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  2. अच्छी जानकारी, आगे भी ऐसे ही पोस्ट करें व लोगों को लाभ पहुंचाएं .

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  3. फरवरी मार्च में कौन सा बीज हुआ जाए तो खीरे की पैदावार अच्छी रहेगी

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  4. जनवरी माह में कौन सा बीज उत्पाद होता है जिसका अच्छा पैदावार हो उस कंपनी का नाम बताइए

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