Wednesday 16 August 2017

कपास की फसल में सफेद मक्खी से निपटने के लिए क्या करें

कपास की फसल में सफेद मक्खी से निपटने के लिए क्या करें 




किसान भाईकिसानों से अपील की है कि वे अपने खेत का लगातार निरीक्षण करते रहें। यदि कपास की फसल में प्रति पत्ता सफेद मक्खी के व्यस्क 4-6 के आसपास या इससे अधिक दिखाई दें तो विभिन्न प्रकार के उपाय करके सफेद मक्खी कानियंत्रण किया जा सकता है।कपास की फसल में पहला छिडक़ाव नीम आधारित कीटनाशक जैसे निम्बीसीडीन 300 पीपीएम या अचूक 1500 पीपीएम की 1.0 लीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। इसके अतिरिक्त जिन किसानों ने अपनी कपास की फसल में नीम आधारित कीटनाशकों का प्रयोग कर लिया है तथा फिर भी खेत में सफेद मक्खी एवं हरे तेेले का प्रकोप दिखाई दे रहा है तो वे किसान अब फसल में 80 ग्राम प्रति एकड़ की दर से फ्लोनिकामिड उलाला नामक दवा का छिडक़ाव करके सफेद मक्खी पर नियंत्रण कर सकते हैं।सफेद मक्खी के बच्चों की संख्या प्रति पत्ता 8 से ज्यादा दिखाई दे तो स्पाइरोमेसिफेन (ओबेरोन) 200 मि.ली. या पायरीप्रोक्सीफेन (लेनो) नामक दवा की 400-500 मि.ली. मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। कपास की फसल में नीचे के पत्तों का चिपचिपा होकर काला होना खेत में सफेद मक्खीके बच्चों की संख्या ज्यादा होने को दर्शाता है।यदि खेतों में सफेद मक्खी के व्यस्क ज्यादादिखाई दें तो किसान डाईफेन्थाईयूरान (पोलो) नामक दवा की 200 ग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। पोलो दवा के प्रयोग से पहले व प्रयोग करने के बाद खेत में नमी की मात्रा भरपूर होना आवश्यक है। अधिक जानकारी के लिए किसान केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय स्टेशन या अपने निकटतम कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।किसान भाई विभाग या अन्य सरकारी संस्थान द्वारा सिफारिश की गई दवाओं को ही खरीदे और इन दवाओं को खरीदते वक्त विक्रेता से बिल जरूरी लें। कपास की फसल में अपने आप से बदल-बदल कर दवाईयों का छिडक़ाव करना नुकसान देह हो सकता है।किसान कपास की फसल पर प्रति एकड़ एक लीटर नीम के तेल को 200 लीटर पानी में मिलाकर इसका छिडक़ाव करे तो सफेद मक्खी के प्रकोप को समाप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, दो किलोग्राम यूरिया में आधा किलोग्राम जिंक (21 प्रतिशत) के साथ इसे 200 लीटर पानी में मिलाकर भी इस बीमारी से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता हैसफेद मक्खी छोटा सा तेज उडऩे वाला पीले शरीर और सफेद पंख का कीड़ा है। छोटा एवं हल्के होने के कारण ये कीट हवा द्वारा एक दूसरे से स्थान तक आसानी से चले जाते हैं। इसके अंडाकार शिशु पतों की निचली सतह पर चिपके रहकर रस चूसते रहते हैं। भूरे रंग के शिशु अवस्था पूरी होने के बाद वहीं पर यह प्यूपा में बदल जाते हैं। ग्रसित पौधे पीलेव तैलीय दिखाई देते हैं। जिन काली फंफूदी लग जाती है। यह कीड़े न कवेल रस चूसकर फसल को नुकसान करते हैं।

No comments:

Post a Comment