तेजपत्ता ( दालचीनी) की जैविक उन्नत खेती (Biotic Advanced farming of cinnamon)
वैज्ञानिक नाम
सिनामोममतमाला
कुल
लोरेसी
अन्य नाम
दालचीनी,
तमालका, इंडियन केसिया
प्राप्ति स्थान
हिमाचल
प्रदेश, उत्तराखण्ड, जम्मू कश्मीर, सिक्किम तथा अरुणाचल प्रदेश
पादप परिचय
यह एक सीधा बहुवर्षिय पेड़ होता है इसके पेड़ 100 वर्षो तक उपज देते हैं तथा लागत कम लगा कर अच्छा लाभ मिलता है।
मुख्य रासायनिक संगठन एवं उपयोग
तेजपात
मसाले के रुप में अति प्रचलित है। दालचीनी के रुप में इसकी छाल तथा सूखी पत्तियां गरम मसाले में प्रयोग होती है। उपच, गले के रोग तथा वमन में इसका प्रयोग शामक है। कफ निस्सारक औषधियों का यह मुख्य अवयव है।
जलवायु
हिमालय
शीतोष्ण एवं हिमाद्री क्षेत्र में 1000 मीटर तक एवं नम एवं छायादार मैदानी क्षेत्र
मृदा
उच्च जीवांश तथा उचित जल-निकास वाली मृदा उपयुक्त होती है।
प्रजातियां
प्राकृतिक
खेत की तैयारी एवं बुवाई
फसल का रोपण पौघ तैयार करके किया जाता है। बीज को छोटी क्यारियों में रेत एवं गोबर की खाद भरकर बिखेर दिया जाता है। हल्की सिचाई के पश्चात पुवाल से ढक देना चाहिये। बिजाई मार्च-अप्रैल माह में करनी चाहिये। दो माह के पश्चात पौध 10-15 से.मी की हो जाये तो खेत में 50 से.मी. ब्यास के 60 से.मी. गहरे गढ्ढे 2 x 6 के बना लेने चाहिये। गढढे में गोबर की खाद तथा 200 ग्राम माइक्रो भू पावर भरकर मानसून में पौधों का रोपण किया जाता है।
आर्गनिक खाद एवं उर्वरक
गढ्ढों
में 200 ग्राम माइक्रो भू पावर . एवं 10 किलो गोबर की खाद रोपण के पूर्व मिला देना चाहिये।
सिंचाई
वर्ष में एक सिचाई गर्मी के मौसम में आवश्यकता पड़ती है।
खरपतवार नियंत्रण
फसल को खरपतवार मुक्त रखने के लिये 3-4 बार गढ्ढें के आस-पास हाथ से निराई-गुड़ाई करनी चाहिये।
रोग नियंत्रण
साधारणतया यह फसल रोग मुक्त है।
कीट नियंत्रण
साधारणतया यह फसल कीट मुक्त है।
फसल कटाई
एक बार लगाने के बाद यह 100 वर्षो तक रहता है 6 वर्ष बाद पत्तियों को एकत्रित कर छाया में सुखा लिया जाता है। 125-150 कु. सुखी पत्तियॉ प्रति वर्ष प्राप्त होती है।
कटाई उपरान्त प्रक्रिया
पत्तियों को छाया में सुखाया जाता है एवं तेल निकालने के लिये आसवन यन्त्र का प्रयोग किया जाता है। पत्तियों में 0.6 प्रतिशत तक सुगंधित तेल प्राप्त होता है।
यंन्त्र एवं औजार
जल आसवन यंन्त्र
उत्पाद का वैकल्पिक उपयोग
मशाले के रुप में
विपणन
1200-1300 रु. प्रति कि.ग्रा. तेल एवं 15-20 रु. प्रति कि.ग्रा. सुखी पत्तियां
तेज पत्ता के फायदे दांतों के लिए फायदेमंद होते हैं। तेज पत्ते का पानी पिने से मसूड़े मजबूत होते हैं।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया जानकारी दी गई है
ReplyDeleteIska been kha par milenga
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ReplyDeleteH
ReplyDeleteHallo
ReplyDeleteUp mathura men kis time lagana he ye plant
ReplyDeleteGood..
ReplyDelete1) पौधा कितने बाय कितना चाहिए? ....फीट × ....फीट या ( ... मीटर × ... मीटर ) 2) गड्डा ?
ReplyDeletenice article greate information keep sharing
ReplyDeleteamrud khane ke fayde
Muje Tej Patte ka Bij chahie
ReplyDeleteKya ye kheti jaunpur district U.P. ho sakti hai jankari Om Namah shivay
ReplyDeleteरायबरेली यूं पी में हमें खेती करना है
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