मिर्च की फसल की जानकारियां
(Chilli Crop Info)
Chilli Crop Info |
जलवायु : मिर्च की खेती के लिये आद्र्र उष्ण जलवायु उपयुक्त होती है. फल परिपक्वता अवस्था में शुष्क जलवायु आवश्यक होती है. ग्रीष्म ऋतु में अधिक तापमान से फल व फूल झड़ते हंै. रात्रि तापमान 16-21डिग्री सेल्सियम फल बनने के लिये अत्यधिक उपयुक्त है.
भूमि : मिर्च की खेती सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है. परंतु अच्छे जल निकास वाली एवं कार्बनिक बलुई दोमट, लाल दोमट मिट्टी जिसका पीएच मान 6.0 से 6.7 हो मिर्च की खेती के लिये सबसे उपयुक्त है. वो मिट्टी जिसमें जल निकास व्यवस्था नहीं होती, मिर्च के लिये उपयुक्त नहीं है.
बीज, किस्म
एवं बीज दर : संकर किस्मों का 120-150 ग्राम एवं 200-250 ग्राम प्रति एकड़ अच्छी पैदावार देने वाली किस्मों की बीज दर होती है. साथ ही ऐसी किस्मों का चुनाव करना चाहिए जो स्थानीय वातावरण, बाजार एवं उपभोक्ता के अनुसार.
खेत की
तैयारी
1. – उठे हुए शैय्या
तकनीक से पौध
रोपण करें.
2. – 5 टन प्रति एकड़
की दर से
शैय्या पर सड़ी
हुई खाद (गोबर
की) डालें.
3. – आधार उर्वरक के
रूप में 250 किग्रा.
एसएसपी., 500 कि.ग्रा. नीम
खली, 50 कि.ग्रा.
मैग्रैशियम सल्फेट एवं 10 कि.ग्रा. सूक्ष्म तत्व
को शैय्या में
मिलायें
4. – आधार गोबर खाद
व उर्वरक को
शैय्या में मिलायें.
5. – खरपतवार नियंत्रण के लिये 500 मि.
ली. बासालीन 200 ली.
पानी में घोल
बनाकर प्रति एकड़
की दर से
शैय्या पर छिड़काव करके
मिट्टी में मिलायें.
ड्रिप सिंचाई प्रणाली में पौध रोपण
– अनिश्चित वृद्धि, झाड़ीनुमा सीधे बढऩे वाली किस्मों को 5 फीट की दूरी ड्रिप लाईन पर एकल कतार विधि एवं पौधे से पौधे की दूरी, कतार में 30 से 40 सेमी .रखना चाहिए.
– संकर किस्मों को युगल कतार विधि द्वारा लगाना चाहिए.
जल प्रबंध
: यद्यपि मिर्च का मूल/ मुख्य जड़ जमीन में गहराई तक पाया जाता है. परंतु इसकी पोषक तत्व व पानी लेने वाली जड़े ज्यादातर जमीन के ऊपरी एक फीट में रहती है जो पौधे की 70 प्रतिशत जल की जरूरत को पूरा करती है. इसलिए ड्रिप सिस्टम इन जड़ों को हमेशा जीवित रखता है. जिससे पौधे में मिट्टी से पानी व पोषक तत्वों का अवशोषण सरलता से होता है.
नेटाफिम के उच्च एक समान उत्सर्जकता, स्वयं साफ होने एवं लचक समन्वित ड्रिप लाईन मिर्च की खेती के लिये बहुत उपयुक्त है.
नेटाफिम के उच्च एक समान उत्सर्जकता, स्वयं साफ होने एवं लचक समन्वित ड्रिप लाईन मिर्च की खेती के लिये बहुत उपयुक्त है.
आधार खुराक
: 200 कि.ग्रा. एसएसपी, 50 कि.ग्रा. डीएपी, 500 कि.ग्रा. नीम खली, 50 कि.ग्रा. मैग्रेशियम सल्फेट, 10 कि.ग्रा. सूक्ष्म पोषक तत्व को जमीन में देना चाहिए.
मिर्च तुड़ाई
में सावधानियां
1. – हरी मिर्च बेचना
है तो तोड़ते
समय यह सावधानी रखें
कि फूलों एवं
अविकसित मिर्च के ऊपर
प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
हरी
मिर्च की तुड़ाई
6 से 8 बार औसतन
5 से 6 दिनों के
अंतर से करनी
पड़ती है।
2. – ग्रीष्म एवं शीत ऋतु
की मिर्च पकने
पर सुखाकर बेचते
हैं। कभी-कभी
अचार वाली जातियों को
गीला बेचने हेतु
तोड़ा जाता है।
3. – सामान्यत: पके हुए फल
को थोड़े-थोड़े
समयान्तराल पर हाथ से
तोड़ लिया जाता
है। सामान्यत: मिर्च
में 3 से 6 तुड़ाई
होती है। आमतौर
पर मिर्च को
प्राय: सूर्य की
रोशनी में सुखाते
हैं।
4. – मिर्च को सुखाने
के लिये प्रत्येक मौसम
में जमीन को
समतल करके सुखाने
के उपयोग में
लाया जाता है।
5. – स्वच्छ, अच्छी गुणवत्ता वाली
मिर्च के लिये
पक्के प्लेटफार्म या
तिरपाल या प्लास्टिक का
उपयोग फलों को
सुखाने के लिये
किया जाता है।
6. – तुड़ाई उपरांत मिर्च
की फलियों को
ढेर के रूप
में एक रात
के लिये रखते
हैं, जिससे आधे
पके फल पक
जाते हैं और
सफेद मिर्च की
संख्या कम हो
जाती है।
7. – दूसरे दिन मिर्च
को ढेर से
उठाकर सुखाने के
स्थान पर 2-3 इंच
मोटी परत में
फैला देते हैं।
8. – इस तरह दो
दिन के बाद,
प्रत्येक दिन सुबह मिर्च
को उलटनेे-पलटने
से सूर्य का
प्रकाश हर पर्त
पर समान रूप
से पड़ता है।
9. – सूर्य के प्रकाश
में शीघ्र और
समान रूप से
मिर्च को सुखाने
के लिए 10 -25 दिन लगते
हैं।
10. – सौर ऊर्जा से
चलने वाली मशीन
का उपयोग भी
मिर्च को सुखाने
के लिये किया
जाता है। इससे
केवल 10-12 घंटे में मिर्च
को सुखाया जा
सकता है।
11. – सौर ऊर्जा द्वारा
सुखायी गई मिर्च
अच्छे गुणों वाली
होती है।
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